लंदन। भारत समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में काफी गर्मी पड़ रही है। वहीं, एक अध्ययन में पता चला है कि 2023 की गर्मी 2,000 वर्षों में सबसे गर्म थी। पिछले साल उत्तरी गोलार्ध में भीषण गर्मी के कारण भूमध्य सागर में जंगल की आग लग गई, टेक्सास में सड़कें तक पिघल गई थीं और चीन में बिजली ग्रिड में तनाव आ गया था जिससे यह न केवल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म गर्मी बन गई बल्कि लगभग 2,000 वर्षों में सबसे गर्म गर्मी बन गई।
यह स्पष्ट निष्कर्ष मंगलवार को जारी दो नए अध्ययनों में से एक से आया है, क्योंकि वैश्विक तापमान और जलवायु-वार्मिंग उत्सर्जन दोनों में वृद्धि जारी है। वैज्ञानिकों ने तुरंत पिछले साल जून से अगस्त की अवधि को 1940 के दशक में रिकॉर्ड रखने की शुरुआत के बाद से सबसे गर्म अवधि घोषित कर दिया था।
जलवायु वैज्ञानिक एस्पर ने बताई गंभीर बातें
जर्मनी में जोहान्स गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक जान एस्पर ने कहा कि पिछले साल की तीव्र गर्मी अल नीनो जलवायु पैटर्न के कारण बढ़ी थी, जो आम तौर पर गर्म वैश्विक तापमान के साथ मेल खाती है, जिससे लंबी और अधिक गंभीर गर्मी पड़ी और लंबे समय तक सूखा पड़ा।
हीटवेव (लू) ले रही जान
पीएलओएस मेडिसिन जर्नल में मंगलवार को प्रकाशित एक दूसरे अध्ययन के विवरण के अनुसार, हीटवेव पहले से ही लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, 1990 से 2019 के बीच प्रत्येक वर्ष 43 देशों में 150,000 से अधिक मौतें हीटवेव से जुड़ी हैं। यह वैश्विक मौतों का लगभग 1% होगा वैश्विक कोविड-19 महामारी से हुई मृत्यु के बराबर है। हीटवेव से संबंधित आधे से अधिक मौतें अधिक आबादी वाले एशिया में हुईं।