हमारा देश परंपराओं को मानने वाला देश है. सनातन धर्म में कई ऐसी परंपरा हैं जिन्हें लोग सदियों से मनाते चले आ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर उन्हें उसके पीछे का कारण नहीं पता होता है. इसी तरह से सनातन धर्म में एक परंपरा है कि कोई भी शुभ कार्य करने जाने से पहले दही-शक्कर खाकर ही निकलते हैं. हालांकि यह परंपरा पहले से चली आ रही है. कहीं बाहर जाने से पहले घर की महिलाएं दही शक्कर जरूर खिलाती हैं. इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से काम जरूर सफल हो जाता है. आपको बता दें कि दही शक्कर खाने के वैज्ञानिक आधार भी हैं.
दही को सनातन धर्म में पंचामृत की दी है संज्ञा
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा ने बताया कि यात्रा के समय दही खाकर निकलना मिथिलांचल की खास परंपरा में शुमार है.सनातन धर्म में भी दही खाकर यात्रा करना शुभ बताया गया है. दही खाने से नाभिक ठंडा रहता है और उदर को तृप्त रखता है.
चंद्रमा के साथ बताया गया है दही का नाता
दही को सनातन धर्म में पंचामृत भी माना जाता है और हर शुभ कार्य में इसका विशेष महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि चंद्रमा के साथ दही का संबंध होता है. दही सफेद होने की वजह से चंद्रमा का काफी प्रिय है और जब इसे ग्रहण कर घर से बाहर निकलते हैं तो आपके अंदर का आत्मविश्वास और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
दही खाने से आस-पास का नकारात्मक ऊर्जा हो जाती है समाप्त
डॉ. कुणाल कुमार झा ने बताया कि दही खाने सेआस-पास का नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाता है. यही वजह है कि न सिर्फ बड़े बल्कि छोटे बच्चों को भी स्कूल या एग्जाम देने जाने से पहले घर से माता दही शक्कर जरूर खिलाती है. मिथिलांचल में शादी-विवाह में दही का भार आदान-प्रदान वर-वधु पक्ष के बीच भी किया जाता है.
कैल्शियम के साथ पाया जाता है विटामिन B2
मेडिकल क्षेत्र में भी दही का महत्व काफी है. यह सेहत के लिए फायदेमंद भी होता है. दही पाचन क्रिया को मजबूत करता है. यदि पोषक तत्व की बात करें तो इसमें कैल्शियम के साथ विटामिन B2 और विटामिन B12 पाया जाता है. इसके अलावा पोटेशियम और मैग्नीशियम भी दही में पाया जाता है. दही अपच और एसिडिटी जैसी समस्या को भी दूर करता है.